👻 शमशान घाट के पीछे का गांव: एक सदी पुराना श्राप
(A Horror Story That Will Chill Your Soul)
🏞️ परिचय:
उत्तराखंड के पहाड़ों में बसा एक छोटा सा गांव “भानपुर”, जो न तो नक्शे में दर्ज है और न ही किसी गूगल मैप पर। इसकी आबादी मात्र 60 लोग थी, लेकिन 100 साल पहले यहाँ कुछ ऐसा हुआ जिसने इस गांव को “भूतों का अड्डा” बना दिया।
गांव का मुख्य रास्ता एक पुराने शमशान घाट से होकर गुजरता था। कोई भी सूरज ढलने के बाद उस रास्ते पर कदम नहीं रखता।
🧓🏻 कहानी की शुरुआत:
“मुझे आज भी वो रात याद है जब गांव में पहला कत्ल हुआ था…”
ये शब्द थे 82 साल के बुजुर्ग हरिचरण के, जो गांव के इकलौते जीवित गवाह हैं उस रात के।
वो कहते हैं, 1925 में गांव में एक काली रात आई, जब पूरे गांव ने चिल्लाहटें, रोने की आवाजें और अजीब हंसी सुनी। सुबह जब लोग उठे, तो देखा गांव की मंदिर की पुजारिन दया माई मरी हुई पाई गईं — और उनके गले पर किसी जानवर के पंजों जैसे निशान थे।
🧿 श्राप की शुरुआत:
दया माई की मौत के बाद गांव में अजीब घटनाएं होने लगीं —
- बच्चों का अचानक गायब हो जाना
- कुएं से खून निकलना
- रात में पेड़ों पर उल्टे लटके साए दिखना
गांव के सबसे बड़े तांत्रिक बलवीरनाथ ने बताया कि यह सब एक श्राप का असर है।
“दया माई ने एक आत्मा को कैद किया था। अब वो मुक्त हो चुकी है…”
🔥 शमशान के पीछे की सच्चाई:
कुछ दिनों बाद गांव के युवाओं की एक टोली ने हिम्मत करके शमशान घाट के पीछे एक सुरंग खोजी। उस सुरंग में उन्हें एक पुराना लोहे का दरवाजा मिला। दरवाजे के बाहर लाल रंग से लिखा था —
“इसे मत खोलना, वरना पूरा गांव जल जाएगा।”
लेकिन मानव स्वभाव जिज्ञासु होता है। उन्होंने दरवाजा खोल दिया…
🌪️ तबाही की रात:
जैसे ही दरवाजा खुला, गांव में तूफान उठ खड़ा हुआ। हवा में राख, चिंगारियाँ और एक औरत की चीख गूंजने लगी। उस रात गांव के 22 लोग मारे गए।
दरवाजे के पीछे एक तांत्रिक बलि वेदी थी, जहाँ सैकड़ों साल पहले काले जादू की प्रैक्टिस होती थी। वहां अब भी ताजे खून की बू आती थी, और दीवारों पर “मुझे मुक्त करो” लिखा हुआ था।
🎥 हाल की घटना (2023):
एक डाक्यूमेंट्री टीम ने गांव पर फिल्म बनानी चाही। दिल्ली से फिल्ममेकर्स की टीम “डार्क इंडिया” वहां गई। उन्होंने गांववालों से पूछताछ की, लेकिन रात को कैमरे और ड्रोन्स खुद-ब-खुद उड़ गए।
रिकॉर्डिंग में एक महिला की परछाई बार-बार दिख रही थी, जिसकी आंखें काली और गहरी थीं — जैसे वो सीधे आत्मा में झांक रही हो।
टीम के लीडर समीर अब भी एक मानसिक अस्पताल में भर्ती हैं। वो बस एक ही बात दोहराते रहते हैं —
“वो अब मेरे अंदर है…”
⚰️ गांव की वर्तमान स्थिति:
अब उस गांव में सिर्फ 7 बुजुर्ग रह गए हैं, जो मानते हैं कि वो दिन कभी भी लौट सकता है। गांव में हर रात 11 बजे एक घंटी की आवाज आती है, जो किसी मंदिर से नहीं बल्कि शमशान से आती है।