राजस्थान में स्थापत्य कला – हवेलियाँ
राजस्थान की हवेलियाँ भारतीय स्थापत्य कला का अनूठा उदाहरण हैं, जो ऐतिहासिक समृद्धि और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती हैं। प्राचीन समय में, राजाओं, सेठों और धनी व्यक्तियों ने अपने निवास के लिए भव्य हवेलियाँ बनवाईं, जो न केवल आरामदायक होती थीं, बल्कि अद्वितीय कला और शिल्प का भी परिचय देती थीं।
प्रमुख हवेलियों की सूची
| हवेली का नाम | स्थान | विवरण |
|---|---|---|
| सुराणों की हवेलियाँ | चुरू | |
| रामविलास गोयनका की हवेली | चुरू | |
| मंत्रियों की मोटी हवेली | चुरू | |
| बच्छावतों की हवेली | बीकानेर | 16वीं सदी के उत्तरार्द्ध में कर्णसिंह बच्छावत द्वारा निर्मित |
| बिनाणियों की हवेली | सीकर | |
| पंसारियों की हवेली | सीकर | |
| पुरोहित जी की हवेली | जयपुर | |
| रत्नाकर पुण्डरिक भट्ट की हवेली | जयपुर | |
| बड़े मियां की हवेली | जैसलमेर | |
| नथमल की हवेली | जैसलमेर | जैसलमेर राज्य के प्रधानमंत्री नथमलजी द्वारा 19वीं शताब्दी में निर्मित |
| पटवों की हवेली | जैसलमेर | सेठ गुमानचन्द बापना द्वारा 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध में बनवाया गया |
| सालिम सिंह की हवेली | जैसलमेर | 1815 ई. में जैसलमेर राज्य के दीवान सालिम सिंह द्वारा निर्मित, इसे 9 खंडों की हवेली भी कहते हैं |
| बागोर हवेली | उदयपुर | इसमें 1986 में पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की स्थापना की गई |
| मोहन जी की हवेली | उदयपुर | |
| पुश्य हवेली | जोधपुर | |
| पच्चीसा हवेली | जोधपुर | |
| नाथूराम पोद्दार की हवेली | बिसाऊ (झुनझुनू) | |
| सेठ जयदयाल केडिया की हवेली | बिसाऊ (झुनझुनू) | |
| रामनाथ गोयनका की हवेली | मण्डावा (झुनझुनू) | |
| सोने – चांदी की हवेली | महनसर (झुनझुनू) | |
| ईसरदास मोदी की हवेली | झुनझुनू | |
| पोद्दार और भगरिया की हवेलियां | नवलगढ़ (झुनझुनू) | |
| भगतों की हवेली | नवलगढ़ (झुनझुनू) | |
| सुनहरी कोठी | टोंक |
स्थापत्य की विशेषताएँ
राजस्थान की हवेलियाँ अपने छज्जों, बरामदों, और झरोखों पर की गई बारीक और उत्कृष्ट नक्काशी के लिए प्रसिद्ध हैं। इन हवेलियों में विशाल आंगन, सुन्दर मेहराबें, और भव्य दिवारें होती हैं, जो न केवल स्थापत्य कला का प्रदर्शन करती हैं बल्कि उस समय की भव्यता और समृद्धि को भी दर्शाती
