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राजस्थान के राष्ट्रीय उद्यान

राजस्थान के राष्ट्रीय उद्यान

राजस्थान में कुल 3 राष्ट्रीय उद्यान हैं, जो केंद्र सरकार द्वारा स्थापित किए गए हैं। ये उद्यान वन्य जीवों के संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

1. रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान

  • स्थान: सवाई माधोपुर जिला
  • स्थापना: 1 नवंबर 1980, राजस्थान का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान।
  • क्षेत्रफल: 392 वर्ग किमी, अरावली और विंध्याचल पर्वत श्रृंखलाओं के बीच फैला हुआ।
  • प्रमुख प्राणी: बाघ, बघेरा, चीतल, सांभर, नीलगाय, रीछ, जरख, चिंकारा।
  • विशेष स्थल: रणथंभौर दुर्ग, पदम तालाब, राजबाग, मलिक तालाब, गिलाई सागर, मानसरोवर, लाभपुर झील।
  • महत्व: यह उद्यान देश की सबसे कम क्षेत्रफल वाली बाघ परियोजना है और बाघ संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

2. केवलादेव (घना) राष्ट्रीय उद्यान

  • स्थान: बीकानेर
  • स्थापना: 1981
  • क्षेत्रफल: 29 वर्ग किमी
  • प्रमुख पक्षी: साइबेरियन क्रेन, साइबेरियन सारस, गीज, पोयार्ड, लेपबिंग, बेगर्टल, रोजी पोलीकन।
  • विशेषताएँ: यह उद्यान एशिया में पक्षियों की सबसे बड़ी प्रणय (प्रजनन) स्थली के रूप में प्रसिद्ध है और यूनेस्को द्वारा विश्व प्राकृतिक धरोहर में शामिल किया गया है।

3. मुकन्दरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान

  • स्थापना: 9 जनवरी 2012
  • स्थान: कोटा और चितौड़गढ़ जिले
  • क्षेत्रफल: 199.55 वर्ग किमी
  • प्रमुख प्राणी: बाघ, बघेरा, चीतल, सांभर, नीलगाय, रीछ, जरख, चिंकारा।
  • विशेष स्थल: गागरोन दुर्ग, अबली मीणी महल, रावण महल, भीमचोरी मंदिर।
  • विशेषताएँ: मानव द्वारा उकेरी गई शैलकृतियाँ और प्राकृतिक वनस्पतियों का संरक्षण।

राजस्थान के वन्य जीव अभयारण्य

राजस्थान में वन्य जीवों के संरक्षण के लिए कई अभयारण्य स्थापित किए गए हैं। ये अभयारण्य विभिन्न प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करते हैं और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।

सरिस्का वन्य जीव अभयारण्य

  • स्थापना: 1978-79 (बाघ परियोजना)
  • स्थान: अलवर जिला, दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर अरावली पर्वत श्रृंखला में।
  • प्रमुख प्राणी: शेर, बाघ, सांभर, चीतल, नीलगाय, चिंकारा, चौसिंगा, स्याहगोश, जंगली सूअर।
  • विशेष स्थल: नीलकंठ महादेव मंदिर, लोकदेवता भर्तृहरि की तपोस्थली, पाण्डुपोल, हनुमान मंदिर, टाइगर डेन होटल।

राष्ट्रीय मरू उद्यान

  • स्थापना: 8 मई 1981
  • क्षेत्रफल: 3000 वर्ग किमी, जैसलमेर और बाड़मेर जिले में फैला हुआ।
  • प्रमुख प्राणी: गोडावण (ग्रेट इंडियन वस्टर्ड), काले हिरण।
  • विशेषताएँ: लाखों वर्ष पूर्व के सागरीय जीवाश्म, भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षण।

जयसमंद वन्य जीव अभयारण्य

  • स्थापना: 1957
  • स्थान: उदयपुर से 52 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में जयसमंद झील क्षेत्र।
  • प्रमुख प्राणी: लकड़बग्घा, बघेरा, सियार, चीतल, चिंकारा, जंगली सूअर, नीलगाय।
  • विशेष स्थल: रूठी रानी का महल।

तालछापर अभयारण्य

  • स्थान: चुरू जिला, सुजानगढ़ तहसील
  • प्रमुख प्राणी: काले हिरण, प्रवासी पक्षी कुरजाँ।
  • विशेषताएँ: वर्षा के मौसम में मोथा घास उगती है, जिससे वनस्पति और वन्य जीवों की विविधता बढ़ती है।

वन विहार अभयारण्य

  • स्थापना: 1955
  • स्थान: धौलपुर से 20 किमी दूर रामसागर झील के निकट।
  • क्षेत्रफल: 25.6 वर्ग किमी
  • प्रमुख प्राणी: सांभर, चीतल, नीलगाय, चिंकारा, मोर।
  • विशेषताएँ: विभिन्न वन्य जीवों का संरक्षण और पर्यावरणीय शिक्षा।

मांउट आबू अभयारण्य

  • स्थापना: 1960
  • स्थान: सिरोही जिला, आबू पर्वत श्रृंखला।
  • प्रमुख प्राणी: जंगली मुर्गे, डिकिल्पटेरा आबूएन्सिस (विश्व में केवल आबू पर्वत पर पाया जाता है)।
  • विशेषताएँ: स्ट्रोबिलेन्थस कैलोसस (कारा), यह पादप यहाँ ही पाई जाती है।

जवाहर सागर अभयारण्य

  • स्थापना: 1975
  • स्थान: कोटा के जवाहर सागर बांध के निकट।
  • प्रमुख प्राणी: घड़ीयाल, मगरमच्छ।
  • विशेष स्थल: घड़ीयाल प्रजनन केंद्र, मगरमच्छ, गैपरनाथ मंदिर, गडरिया महादेव, कोटा बांध।

गजनेर वन्य जीव अभयारण्य

  • स्थान: बीकानेर जिला
  • प्रमुख प्राणी: बटबड़ पक्षी (इंपीरियल सेंडगाउज), जिसे रेत का तीतर भी कहा जाता है।

कुम्भलगढ़ वन्य जीव अभयारण्य

  • स्थान: उदयपुर, राजसमंद, पाली जिले में अरावली पर्वत श्रृंखला के दक्षिणी भाग में।
  • क्षेत्रफल: लगभग 586 वर्ग किमी
  • प्रमुख प्राणी: रीछ, भेड़िए, जंगली सूअर, जंगली मुर्गे, चौसिंगा (घंटेल हिरण)।
  • विशेषताएँ: बाघों का संरक्षण, बनास नदी का उद्गम स्थल।

रामगढ़ विषधारी अभयारण्य

  • स्थान: बूंदी जिला
  • क्षेत्रफल: 252.79 वर्ग किमी
  • प्रमुख प्राणी: काले हिरण
  • विशेषताएँ: बाघों का जच्चा केन्द्र, धौकड़ा वृक्ष।

सीतामाता अभयारण्य

  • स्थान: प्रतापगढ़, चितौड़गढ़, उदयपुर जिले में
  • क्षेत्रफल: 423 वर्ग किमी
  • प्रमुख प्राणी: चौसिंगा, उड़न गिलहरीयाँ, सांभर, चीतल, चिंकारा, नीलगाय, जंगली सूअर।
  • विशेषताएँ: सागवान-बांस मिश्रित वन, उत्तर-पश्चिमी सीमा।

कनक सागर पक्षी अभयारण्य

  • स्थान: बूंदी की कनक सागर झील के निकट
  • स्थापना: 1978
  • प्रमुख पक्षी: सारस, हंस, जल मुर्गी, स्पूनविल, चमकादड़, ढक्कन।

राष्ट्रीय चंबल घड़ीयाल अभयारण्य

  • स्थापना: 1978
  • स्थान: चम्बल नदी, मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्रदेश सीमा पर।
  • क्षेत्रफल: 280 वर्ग किमी
  • प्रमुख प्राणी: घड़ियाल, सर्प, मछलियाँ (गंगाई डॉल्फिन), कछुए की 8 प्रजातियाँ।

नाहरगढ़ जैविक अभयारण्य

  • स्थान: आमेर (जयपुर) के पास, जयपुर-दिल्ली राजमार्ग
  • विशेषताएँ: वन्य जीवों का संरक्षण, वन्य जीवन संबंधी शिक्षा और शोध कार्य, चिंकारों का मुख्य प्राणी।
    • प्रमुख प्राणी: काले हिरण, जंगली भेड़िए, स्याहगोश।
    • स्थल: नाहरगढ़ दुर्ग के पास।

जमवा रामगढ़ वन्य जीव अभयारण्य

  • स्थान: जयपुर जिला, जमवारामगढ़ के पास
  • क्षेत्रफल: लगभग 300 वर्ग किमी
  • प्रमुख प्राणी: चिंकारा, नीलगाय, चीतल, लंगूर, मोर।

भैंसरोड़गढ़ अभयारण्य (चितौड़गढ़)

  • स्थापना: 5 फरवरी 1983
  • स्थान: चितौड़गढ़-रावतभाटा मार्ग
  • क्षेत्रफल: 98 वर्ग किमी
  • प्रमुख प्राणी: सांभर, बघेरा, जरख, रीछ, लोमड़ी, चीतल।
  • विशेषताएँ: सांपों का संरक्षण स्थल।

बंध बरेठा

  • स्थान: भरतपुर जिला
  • स्थापना: 1985
  • प्रमुख प्राणी: पक्षी।

फुलवारी की नाल अभयारण्य

  • स्थान: उदयपुर के पश्चिम, आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र
  • प्रमुख प्राणी: बाघ, बघेरा, चीतल, सांभर।
  • विशेषताएँ: मानसी वाकल नदी का उद्गम स्थल, प्राकृतिक वनस्पति।

बस्सी अभयारण्य

  • स्थान: चितौड़गढ़ से 22 किमी दूर, बस्सी कस्बे के पास
  • स्थापना: 1988
  • प्रमुख प्राणी: जंगली बाघ, बघेरा, सियार, जरख, लोमड़ी, चीतल, मगरमच्छ, कछुए, उदबिलाव।

रावली टाडगढ़ अभयारण्य

  • स्थान: अजमेर, पाली, राजसमंद जिले
  • क्षेत्रफल: 495 वर्ग किमी
  • प्रमुख प्राणी: बघेरा, रीछ, जरख, नीलगाय, गीदड़।
  • विशेषताएँ: चौसिंगा (घंटेल हिरण), बाघों का संरक्षण, बनास नदी का उद्गम स्थल।

केलादेवी अभयारण्य

  • स्थान: करौली जिला
  • स्थापना: 1983
  • क्षेत्रफल: 676 वर्ग किमी
  • प्रमुख प्राणी: बघेरा, रीछ, जरख, सांभर, चीतल।
  • विशेषताएँ: विभिन्न वन्य जीवों का संरक्षण।

सज्जनगढ़ अभयारण्य

  • स्थान: उदयपुर रियासत के आखेट स्थल के पास
  • स्थापना: 1987
  • क्षेत्रफल: 5.2 वर्ग किमी
  • प्रमुख प्राणी: सांभर, चीतल, चिंकारा, नीलगाय, जंगली सूअर।
  • विशेषताएँ: सागवान-बांस मिश्रित वन, वन्य जीवों का संरक्षण।

राजस्थान में आखेट निषेध क्षेत्र

राजस्थान में शिकार करना कानूनन अपराध है, और इसके लिए 33 आखेट निषेध क्षेत्र घोषित किए गए हैं। जोधपुर में सबसे अधिक 7 आखेट निषेध क्षेत्र हैं:

  1. बागदड़ा – उदयपुर
  2. बज्जु – बीकानेर
  3. रानीपुरा – टोंक
  4. देशनोक – बीकानेर
  5. दीयात्रा – बीकानेर
  6. जोड़ावीर – बीकानेर
  7. मुकाम – बीकानेर
  8. डेचुं – जोधपुर
  9. डोली – जोधपुर (काले हिरण के लिए)
  10. गुढ़ा – बिश्नोई – जोधपुर
  11. जंभेश्वर – जोधपुर
  12. लोहावट – जोधपुर
  13. साथीन – जोधपुर
  14. फिटकाशनी – जोधपुर
  15. बर्दोद – अलवर
  16. जौड़ीया – अलवर
  17. धोरीमन्ना – बाड़मेर
  18. जरोंदा – नागौर
  19. रोतू – नागौर
  20. गंगवाना – अजमेर
  21. सौंखलिया – अजमेर – गोडावण
  22. तिलोरा – अजमेर
  23. सोरसन – जालौर – गोडावण
  24. संवत्सर-कोटसर – चुरू
  25. सांचैर – जालौर
  26. रामदेवरा – जैसलमेर
  27. कंवाल जी – सा. माधोपुर
  28. मेनाल – चितौड़गढ़
  29. महलां – जयपुर
  30. कनक सागर – बूंदी – जलमुर्गो
  31. जवाई बांध – पाली
  32. संथाल सागर – जयपुर
  33. उज्जला – जैसलमेर

राजस्थान में मृगवन

राजस्थान में विभिन्न प्रकार के मृगों के संरक्षण के लिए 7 मृगवन घोषित किए गए हैं। ये क्षेत्र मृगों की आबादी को बनाए रखने और उनके प्राकृतिक आवास को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं:

  1. अशोक विहार – जयपुर
  2. चितौड़गढ़ मृगवन – चितौड़गढ़
  3. पुष्कर मृगवन – पुष्कर
  4. संजय उद्यान – शाहपुरा (जयपुर)
  5. सज्जनगढ़ मृगवन – उदयपुर (राज्य का दूसरा जैविक उद्यान)
  6. अमृता देवी मृगवन – खेजड़ली (भाद्रपद शुक्ल दशमी को मेला)
  7. माचिया सफारी पार्क – जोधपुर (देश का पहला मरू वानस्पतिक उद्यान)

रणथम्भौर बाघ परियोजना

रणथम्भौर बाघ परियोजना, जिसे 1974 में चयनित किया गया था, राज्य के बाघ संरक्षण प्रयासों का प्रमुख हिस्सा है। यह परियोजना रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान से रामगढ़ (बूंदी) अभयारण्य से जुड़ी हुई है, जो बाघों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।


बाघ संरक्षण योजना

कैलाश सांखला ने भारत में बाघ संरक्षण योजना की स्थापना की थी। उन्होंने बाघों के संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें कीं और “Tiger and Return of Tiger” जैसी पुस्तकें लिखीं। कैलाश सांखला को “Tiger Man of India” के नाम से भी जाना जाता है।


रणथम्भौर बाघ परियोजना

रणथम्भौर बाघ परियोजना, रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान से शुरू होकर रामगढ़ (बूंदी) अभयारण्य तक फैली हुई है। यह परियोजना बाघों के संरक्षण और उनकी आबादी बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कदम है।


राजस्थान का वन्य जीव संरक्षण

राजस्थान में वन्य जीवों के संरक्षण के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने कई अधिनियम और योजनाएं लागू की हैं। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत, राजस्थान में वन्य जीवों की सुरक्षा और उनके प्राकृतिक आवासों का संरक्षण सुनिश्चित किया गया है। रणथम्भौर, केवलादेव, मुकन्दरा हिल्स जैसे राष्ट्रीय उद्यानों और सरिस्का, जयसमंद, तालछापर आदि वन्य जीव अभयारण्यों में बाघ, शेर, सांभर, चीतल, नीलगाय जैसे प्राणियों का संरक्षण किया जा रहा है।


राजस्थान के ये वन्य जीव अभयारण्य और संरक्षण प्रयास राज्य की प्राकृतिक संपदा को संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये अभयारण्य न केवल वन्य जीवों के लिए सुरक्षित आवास प्रदान करते हैं, बल्कि पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं, जिससे राज्य की पर्यटन अर्थव्यवस्था में योगदान होता है।

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