राजस्थान की नदियाँ जो बंगाल की खाड़ी के अपवाह तंत्र का हिस्सा हैं, राज्य के जलवायु और भूगोल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। राजस्थान का अधिकांश भाग रेगिस्तानी है, जिससे यहाँ की नदियों का महत्व और भी बढ़ जाता है। यहाँ हम प्रमुख नदियों के बारे में विस्तार से जानेंगे:
1. चम्बल नदी
- उद्गम: मध्य प्रदेश के महू जिले में जनापाव की पहाड़ियों से।
- प्रवाह मार्ग: यह दक्षिण से उत्तर की ओर बहती हुई चितौड़गढ़ जिले के भैंसरोड़गढ़ में प्रवेश करती है। इसके बाद यह कोटा और बूंदी जिलों से होते हुए सवाईमाधोपुर, करौली और धौलपुर जिलों में बहती है, और अंत में उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में यमुना नदी में विलीन होती है।
- विशेषताएं:
- चम्बल नदी में बामनी नदी मिलती है, जिससे चितौड़गढ़ में चूलिया जल प्रपात (18 मीटर ऊँचा) बनता है, जो राजस्थान का सबसे ऊँचा जल प्रपात है।
- चम्बल नदी में बनास और सीप नदियाँ मिलकर त्रिवेणी संगम बनाती हैं।
- लंबाई: कुल 966 किमी, जिसमें राजस्थान में 153 किमी है।
- सहायक नदियाँ: पार्वती, काली सिंध, बनास, बामनी, मेज।
- महत्त्वपूर्ण बांध: गांधी सागर बांध (म.प्र.), राणा प्रताप सागर बांध (चितौड़), जवाहर सागर बांध (कोटा), कोटा सिंचाई बांध (कोटा)।
2. काली सिंध नदी
- उद्गम: मध्य प्रदेश के देवास गाँव से।
- प्रवाह मार्ग: यह झालावाड़ के रायपुर के निकट राजस्थान में प्रवेश करती है और झालावाड़-कोटा क्षेत्र में बहते हुए नानेरा में चम्बल में मिल जाती है।
- सहायक नदियाँ: आहु, परवन, निवाज, धार।
- महत्त्वपूर्ण बांध: हरिशचंद्र बांध (कोटा)।
3. आहु नदी
- उद्गम: मध्य प्रदेश के सुरनेर गाँव से।
- प्रवाह मार्ग: यह झालावाड़ के नंदपुर में राजस्थान में प्रवेश करती है और झालावाड़-कोटा सीमा पर गागरोन में काली सिंध में मिल जाती है।
- विशेषताएं: गागरोन में काली सिंध और आहु नदियों का संगम होता है, जहाँ गागरोन का जल दुर्ग स्थित है।
4. पार्वती नदी
- उद्गम: मध्य प्रदेश के सिहोर से।
- प्रवाह मार्ग: यह बांरा के करियाहट में राजस्थान में प्रवेश करती है और बांरा तथा कोटा में बहती हुई पाली गाँव (सवाईमाधोपुर) में चम्बल में मिल जाती है।
- सहायक नदियाँ: ल्हासी, अंधेरी, विलास, बरनी, बैँथली।
5. परवन नदी
- उद्गम: मध्य प्रदेश के विंध्याचल से।
- प्रवाह मार्ग: यह झालावाड़ में खरीबोर में राजस्थान में प्रवेश करती है और झालावाड़ तथा बांरा में बहते हुए पलायता गाँव में काली सिंध में मिल जाती है।
- विशेषताएं: इस नदी के किनारे शेरगढ़ अभयारण्य स्थित है।
- सहायक नदियाँ: नेवज, छापी।
6. बनास नदी
- उद्गम: खमनौर (राजसमंद) की पहाड़ियों से।
- प्रवाह मार्ग: यह पूर्णतः राजस्थान में बहती है और अंत में सवाईमाधोपुर जिले में रामेश्वर नामक स्थान पर चम्बल नदी में विलीन होती है।
- लंबाई: कुल 480 किमी, जो कि राजस्थान में पूर्णतः प्रवाह की दृष्टि से सबसे लंबी नदी है।
- विशेषताएं:
- बनास, बेड़च, मेनाल नदियों का संगम मांडलगढ़ (भीलवाड़ा के निकट) में होता है।
- सहायक नदियाँ: चंद्रभागा, बेड़च, कोठरी, खरी, मेनाल, बांदी, मानसी, डाई, मेरेल नदी।
ये नदियाँ राजस्थान के जलवायु और पर्यावरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, विशेषकर कृषि और सिंचाई में। चूँकि राजस्थान का अधिकांश भाग रेगिस्तानी है, इन नदियों का जल आपूर्ति में विशेष महत्व है। साथ ही, इन नदियों के किनारे कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल भी स्थित हैं