राजस्थान की नदियाँ जो अरब सागर के अपवाह तंत्र का हिस्सा हैं, इनमें से अधिकांश नदियाँ पश्चिम की ओर बहती हुई गुजरात के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर समाप्त होती हैं। आइए, इन नदियों के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें:
1. लूनी नदी
- उद्गम: अजमेर जिले के नाग पहाड़ियों से।
- प्रारंभिक नाम: आरंभ में इसे सागरमती या सरस्वती कहा जाता है।
- प्रवाह मार्ग: अजमेर, नागौर, जोधपुर, पाली, बाड़मेर, और जालौर जिलों से होकर गुजरती है।
- विलीन बिंदु: यह नदी गुजरात के कच्छ जिले में कच्छ के रण में जाकर समाप्त हो जाती है।
- विशेषताएं:
- बालोतरा (बाड़मेर) के बाद यह नदी खारी हो जाती है, जिससे इसका पानी खारा हो जाता है।
- उपनाम: लवणवती, मरूआशा, साक्री।
- लंबाई: कुल 495 किमी, जिसमें राजस्थान में 330 किमी बहती है।
- सहायक नदियाँ: बंकड़ा, सूकली, मीठड़ी, जवाई, सागी, लीलड़ी (पूर्व दिशा से); जोजड़ी (पश्चिम दिशा से)।
- महत्त्वपूर्ण बांध: जसवंत सागर बांध (जोधपुर में)।
2. जवाई नदी
- उद्गम: पाली जिले के बाली तहसील के गोरीया गाँव से।
- प्रवाह मार्ग: पाली, जालौर में बहती हुई बाड़मेर के गुढा में लूनी में मिलती है।
- महत्त्वपूर्ण बांध: पाली के सुमेरपुर में जवाई बांध, जिसे “मारवाड़ का अमृत सरोवर” कहा जाता है।
- सहायक नदियाँ: बांडी, सूकड़ी, खारी।
3. जोजड़ी नदी
- उद्गम: नागौर जिले के पौडलु गाँव से।
- प्रवाह मार्ग: जोधपुर में बहती हुई ददिया गाँव में लूनी में मिल जाती है।
- विशेषताएं: यह लूनी की एकमात्र ऐसी सहायक नदी है, जो अरावली से नहीं निकलती और दाईं दिशा से लूनी में मिलती है।
4. सुकड़ी नदी
- उद्गम: पाली के देसूरी से।
- प्रवाह मार्ग: पाली और जालौर जिलों से होती हुई बाड़मेर के समदड़ी गाँव में लूनी में मिल जाती है।
- महत्त्वपूर्ण बांध: जालौर के बांकली गाँव में बांकली बांध।
5. माही नदी
- उद्गम: मध्य प्रदेश के अमरोर जिले के मेहद झील से।
- प्रवेश बिंदु: राजस्थान में बांसवाड़ा जिले के खादू गाँव से।
- प्रवाह मार्ग: बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, और गुजरात के पंचमहल जिले से होती हुई खम्भात की खाड़ी में समाप्त हो जाती है।
- लंबाई: कुल 576 किमी, जिसमें राजस्थान में 171 किमी बहती है।
- विशेषताएं:
- इसे “दक्षिण राजस्थान की स्वर्ण रेखा” और “आदिवासियों की जीवन रेखा” कहा जाता है।
- माही नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है।
- महत्त्वपूर्ण मेले: गलियाकोट उर्स (डूंगरपुर जिले में माही के तट पर), बेणेश्वर मेला (माघ पूर्णिमा पर डूंगरपुर के नवाटपुरा गाँव में)।
- महत्त्वपूर्ण बांध: माही बजाज सागर बांध (बोरवास गाँव, बांसवाड़ा), कडाना बांध (पंचमहल, गुजरात)।
- सहायक नदियाँ: सोम, जाखम, मोरेन, चाप, अनास, ऐरन।
6. सोम नदी
- उद्गम: उदयपुर जिले के ऋषभदेव के पास बिछामेड़ा पहाड़ियों से।
- प्रवाह मार्ग: उदयपुर और डूंगरपुर में बहती हुई डूंगरपुर के बेणेश्वर में माही में मिल जाती है।
- महत्त्वपूर्ण परियोजनाएं: सोम-कागदर परियोजना (उदयपुर में), सोम-कमला-अम्बा परियोजना (डूंगरपुर में)।
- सहायक नदियाँ: जाखम, झामरी, गोमी, सामरी।
7. जाखम नदी
- उद्गम: प्रतापगढ़ जिले के छोटी सादड़ी तहसील में स्थित भंवरमाता पहाड़ियों से।
- प्रवाह मार्ग: प्रतापगढ़, उदयपुर, और डूंगरपुर में बहती हुई डूंगरपुर के नौरावल भीलूरा गाँव में सोम नदी में मिल जाती है।
- विशेष स्थल: बेणेश्वर धाम (डूंगरपुर में, जहाँ सोम, माही, और जाखम का संगम होता है)।
8. साबरमती नदी
- उद्गम: उदयपुर जिले के पादरला गाँव के पास अरावली पहाड़ियों से।
- प्रवाह मार्ग: उदयपुर से बहकर गुजरात में प्रवेश करती है और खम्भात की खाड़ी में समाप्त हो जाती है।
- लंबाई: कुल 416 किमी, जिसमें 45 किमी राजस्थान में बहती है।
- विशेषताएं:
- गुजरात की राजधानी गांधीनगर इसके किनारे स्थित है।
- अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना महात्मा गांधी द्वारा 1915 में की गई।
- सहायक नदियाँ: बाकल, हथमती, बेतरक, माजम, सेई।
9. पश्चिमी बनास नदी
- उद्गम: सिरोही जिले के नया सानवाड़ा गाँव से।
- प्रवाह मार्ग: सिरोही से बहकर गुजरात में बनासकांठा जिले में प्रवेश करती है और कच्छ की खाड़ी में विलीन हो जाती है।
- विशेषताएं: गुजरात का प्रसिद्ध शहर डीसा इस नदी के किनारे स्थित है।
- सहायक नदियाँ: सुकड़ी, गोहलन, धारवेल।
राजस्थान की ये नदियाँ राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के लिए जल का स्रोत हैं और इनके किनारे कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल स्थित हैं। साथ ही, ये नदियाँ कृषि, सिंचाई और पेयजल आपूर्ति में महत्वपूर्ण योगदान करती हैं।