राजस्थान की जलवायु
उत्तर-पश्चिमी भारत में राजस्थान की जलवायु सामान्यतः शुष्क या अर्ध-शुष्क है। यहाँ वर्ष भर गर्म तापमान रहता है, जिसमें गर्मियों और सर्दियों दोनों में चरम तापमान अनुभव किया जाता है। यह राज्य उत्तरी अक्षांश एवं पूर्वी देशांतर पर स्थित है। राजस्थान का अक्षांशीय विस्तार 23°3 उत्तरी अक्षांश से 30°12 उत्तरी अक्षांश तक है, जबकि देशांतर का विस्तार 60°30 पूर्वी देशांतर से 78°19 पूर्वी देशांतर तक है।
कर्क रेखा राजस्थान के दक्षिण में बांसवाड़ा जिले के मध्य (कुशलगढ़) से गुजरती है, इसलिए हर साल 12 जून को बांसवाड़ा जिले पर सूर्य सीधे चमकता है। राज्य का सबसे गर्म जिला चुरु है, जबकि जोधपुर जिले में स्थित फलोदी राज्य का सबसे गर्म स्थल है। गर्मियों में सबसे ठंडा स्थल सिरोही जिले का माउंट आबू है, जिसे राजस्थान का शिमला भी कहा जाता है।
पृथ्वी के धरातल से क्षोभ मंडल में जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है, तापमान कम होता है; प्रति 165 मीटर की ऊंचाई पर तापमान 1 डिग्री सेल्सियस कम हो जाता है। जैसलमेर राज्य में गर्मियों में सबसे अधिक दैनिक तापांतर वाला जिला है, जबकि श्रीगंगानगर जिले में गर्मियों में सबसे ज्यादा धूल भरी आंधियां चलती हैं। राज्य में विशेषकर पश्चिमी रेगिस्तान में चलने वाली गर्म हवाओं को “लू” कहा जाता है।
गर्मियों में स्थानीय चक्रवात के कारण उत्पन्न धूल भरे बवंडर “भभुल्या” के रूप में जाने जाते हैं। राज्य के दक्षिण-पश्चिम और दक्षिणी भागों में अरब सागर में चक्रवात के कारण तेज हवाओं के साथ चक्रवाती वर्षा होती है। राजस्थान के पश्चिमी रेगिस्तान में गर्मियों में निम्न वायुदाब की स्थिति उत्पन्न होती है, जिसके फलस्वरूप महासागरीय उच्च वायुदाब की मानसूनी पवनें आकर्षित होती हैं। अरावली पर्वतमाला की स्थिति के कारण राजस्थान में मानसून की वर्षा कम और अनियमित होती है।
राज्य का सबसे आर्द्र जिला झालावाड़ है, जबकि माउंट आबू राज्य का सबसे आर्द्र स्थल है। जैसलमेर सबसे शुष्क जिला है। राज्य के दक्षिण-पश्चिम और दक्षिणी-पूर्व भाग सामान्यतः आर्द्र माने जाते हैं, जबकि पूर्वी भाग उप-आर्द्र और पश्चिमी भाग शुष्क है। राजस्थान का उत्तर और उत्तर-पूर्वी भाग सामान्यतः अर्ध-शुष्क है।
ऋतुएँ
ग्रीष्मकाल
राज्य में ग्रीष्मकाल का समय मध्य मार्च से जून तक होता है। इस अवधि में विशेषकर मई और जून में तापमान 45 से 51 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है। इस काल में सूर्य का उत्तरायण होना तापमान में वृद्धि का प्रमुख कारण है। वायुदाब कम और तापमान अधिक होना इस ऋतु की विशेषताएँ हैं। औसत वार्षिक तापांतर 14 से 17 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।
वर्षा ऋतु
राजस्थान में वर्षा ऋतु जून से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक होती है। यह दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी हवाओं से प्रभावित होती है, जो हिंद महासागर से उत्पन्न होकर दो शाखाओं में राज्य में प्रवेश करती हैं। राज्य को इस शाखा से औसतन 57.7 सेंटीमीटर वर्षा प्राप्त होती है, जिसका कारण अरावली श्रृंखला की स्थिति है।
शीतकाल
राजस्थान में शीतकाल की अवधि नवंबर से मध्य मार्च तक होती है। जनवरी का महीना सबसे ठंडा होता है, जब तापमान गिरता है और वायुदाब बढ़ता है। इस काल में वर्षा की मात्रा ना के बराबर होती है।
जलवायु क्षेत्र
- शुष्क जलवायु प्रदेश: जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर का पश्चिमी भाग, जोधपुर का उत्तरी भाग और श्रीगंगानगर का दक्षिणी भाग यहाँ आते हैं। वर्षा की मात्रा 10 से 20 सेंटीमीटर होती है।
- अर्ध-शुष्क जलवायु प्रदेश: बीकानेर, श्रीगंगानगर, जोधपुर, सीकर, झुंझुनू, चूरू, नागौर, जालौर और पाली का पश्चिमी भाग शामिल हैं। यहाँ वर्षा की मात्रा 20 से 40 सेंटीमीटर होती है।
- उप-आर्द्र जलवायु प्रदेश: जयपुर, अजमेर, अलवर, सीकर, झुंझुनू, पाली, और जालौर आदि जिलों का पूर्वी भाग यहाँ आता है। वर्षा का वार्षिक औसत 40 से 60 सेंटीमीटर है।
- आर्द्र जलवायु प्रदेश: धौलपुर, सवाई माधोपुर, भरतपुर, कोटा, बूंदी, और चित्तौड़गढ़ का उत्तरी भाग यहाँ शामिल है। यहाँ वर्षा की मात्रा 70 से 80 सेंटीमीटर होती है।
- अति आर्द्र जलवायु प्रदेश: बांसवाड़ा, झालावाड़, कोटा का दक्षिण-पूर्वी भाग और उदयपुर का दक्षिण-पश्चिमी भाग यहाँ आते हैं। इस क्षेत्र में वर्षा 80 से 150 सेंटीमीटर तक होती है।