प्रतिहार वंश की स्थापना
प्रतिहार राजवंश की स्थापना छठी शताब्दी में मारवाड़ क्षेत्र (जिसे प्राचीन समय में गुर्जरात्रा प्रदेश कहा जाता था) में हुई। गुर्जर प्रतिहारों को लक्ष्मण के वंशज माना जाता है, जो राम के भाई थे और जिन्हें द्वारपाल के रूप में देखा गया। इसलिए इस वंश को “प्रतिहार” नाम दिया गया। मुहणोत नेणसी ने गुर्जर प्रतिहारों की 26 शाखाओं का वर्णन किया है, जिनमें सबसे प्राचीन मंडोर शाखा है।
हरिशचन्द्र (रोहिलाद्धि)
हरिशचन्द्र को गुर्जर प्रतिहारों का आदि पुरुष या संस्थापक माना जाता है। उनके नेतृत्व में प्रतिहारों ने एक समृद्ध और शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की।
नागभट्ट प्रथम
चीनी यात्री ह्वेनसांग: प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने गुर्जर प्रतिहार राज्य की राजधानी भीनमाल का उल्लेख किया है। भीनमाल का प्राचीन नाम “पीलो मोलो” था।
शासन काल: नागभट्ट प्रथम गुर्जर प्रतिहार वंश का पहला प्रतापी शासक था।
राजधानी: उसने अपनी राजधानी पहले मंडोर से मेड़ता, फिर भीनमाल, और अंत में उज्जैन स्थानांतरित की।