राजस्थान का इतिहास – गुहिल राजवंश
गुहिल राजवंश, जिसे सिसोदिया राजवंश भी कहा जाता है, का अधिकार क्षेत्र मेवाड़ और उसके आस-पास था। इस राजवंश में राणा संगा, राणा कुम्भा, और महाराणा प्रताप जैसे प्रतापी राजा हुए।
रावल रतनसिंह और सिसोदिया वंश की शुरुआत
रावल रतनसिंह, सिसोदिया वंश की उत्पत्ति से पहले का एक महत्वपूर्ण राजा था। 1316 ई. में अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के बाद, सिसोदा गांव के सामन्त हम्मीर ने मेवाड़ पर अधिकार कर लिया और सिसोदिया वंश की स्थापना की। हम्मीर को “विषमघाटी पंचानन” और “मेवाड़ का उद्धारक” कहा जाता है। उन्होंने “नटणी का चबुतरा” का निर्माण भी करवाया, जो कि पिछोला झील के तट पर है।
राणा लाखा और उनके उत्तराधिकारी
हम्मीर के बाद खेता और राणा लाखा शासक बने। राणा लाखा के समय में उदयपुर में चांदी की खानें खोजी गईं। उनके पुत्र कुवंर चूडा का विवाह रणमल राठौड़ की बहन हंसा बाई से हुआ, लेकिन लाखा ने स्वयं हंसा बाई से विवाह कर लिया। हंसा बाई ने अपने पुत्र को मेवाड़ का शासक बनाने की शर्त रखी, जिसे चूडा ने स्वीकार किया।
राणा कुम्भा (1433-1468 ई.)
राणा कुम्भा को राजस्थान की स्थापत्य कला का जनक माना जाता है। उन्होंने मेवाड़ के 84 दुर्गों में से 32 दुर्ग का निर्माण करवाया। कुम्भा ने 1433 में सारंगपुर के युद्ध में महमुद खिलजी को पराजित किया और चित्तौड़ के विजय स्तम्भ का निर्माण करवाया।
महत्वपूर्ण निर्माण:
- विजय स्तम्भ
- कीर्ति स्तम्भ
- कुंभ श्याम मंदिर (मीरा मंदिर)
- कुंभलगढ़ दुर्ग
- मचाना दुर्ग
- बसंती दुर्ग
- अचलगढ़ दुर्ग
कुम्भा संगीत के विद्वान भी थे और उनके दरबार में प्रसिद्ध शिल्पकार मण्डन ने कई ग्रंथों की रचना की।
राणा सांगा (1509-1528 ई.)
राणा सांगा ने 1509 में मेवाड़ का शासक बनने के बाद कई सफल युद्ध किए। उन्होंने इब्राहिम लोदी से युद्ध कर उसे पराजित किया। उनके समय में पानीपत का पहला युद्ध हुआ, जिसमें बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराया। सांगा की मृत्यु 1528 में हुई, जिसमें किसी सामन्त द्वारा जहर दिया गया।
उदय सिंह (1522-1572 ई.)
उदय सिंह के समय में चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण हुआ। रानी कर्णावती के नेतृत्व में राजपूत वीरांगनाओं ने जोहर किया। उदय सिंह ने 1559 में उदयपुर की स्थापना की और इसे मेवाड़ की राजधानी बनाया। उनके समय में अकबर ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया।
महाराणा प्रताप (1540-1597 ई.)
महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक 1572 में हुआ। उन्होंने कई बार अकबर की अधीनता स्वीकार करने से इनकार किया। 18 जून 1576 को हल्दीघाटी युद्ध में राणा प्रताप ने अकबर की सेना का सामना किया, जिसमें प्रताप की जीत के रूप में देखा गया, हालांकि कुछ इतिहासकारों ने इसे अकबर की जीत बताया।
महत्वपूर्ण युद्ध:
- हल्दीघाटी युद्ध
- कुम्भलगढ़ का युद्ध
- दिवेर का युद्ध
महाराणा प्रताप की मृत्यु 19 जनवरी 1597 को हुई, जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार चावंड के निकट बंदोली गाँव में किया गया। इस प्रकार, अकबर का राणा प्रताप पर अधिकार करने का सपना अधूरा रह गया।
गुहिल राजवंश की यह ऐतिहासिक