राजस्थान की झीलों का उल्लेख राज्य की समृद्ध भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है। यहाँ मीठे और खारे पानी की झीलें दोनों पाई जाती हैं, और उनका विभाजन मुख्य रूप से अरावली पर्वत श्रृंखला के आधार पर किया जा सकता है। अरावली के पश्चिमी हिस्से में अधिकतर खारे पानी की झीलें पाई जाती हैं, जबकि पूर्वी हिस्से में मीठे पानी की झीलों की प्रमुखता है। नीचे राजस्थान की महत्वपूर्ण झीलों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:
मीठे पानी की झीलें
- जयसमंद झील: उदयपुर में स्थित जयसमंद झील, राजस्थान की सबसे बड़ी कृत्रिम मीठे पानी की झील है, जिसे महाराणा जयसिंह ने 1687-91 में बनवाया। इस झील में सात टापू हैं और इसे ढेबर झील भी कहा जाता है।
- राजसमंद झील: राजसमंद जिले में गोमती नदी पर बने इस झील का निर्माण महाराणा राजसिंह ने 1662-76 के दौरान करवाया। झील के उत्तरी किनारे को “नौ चैकी” कहा जाता है और यहाँ संगमरमर की चट्टानों पर मेवाड़ का इतिहास अंकित है जिसे राजप्रशस्ति कहते हैं।
- पिछोला झील: उदयपुर की इस ऐतिहासिक झील का निर्माण 14वीं शताब्दी में हुआ था। इसमें बने टापूओं पर जगमंदिर और जगनिवास जैसे महल स्थित हैं, जो पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध हैं।
- आनासागर झील: अजमेर में स्थित, इस झील का निर्माण अर्णोराज ने 1137 ई. में करवाया। मुगल बादशाह जहाँगीर ने इसके किनारे दौलत बाग बनवाया, जिसे अब सुभाष उद्यान कहा जाता है।
- नक्की झील: माउंट आबू पर स्थित इस झील का निर्माण प्राकृतिक ज्वालामुखी क्रेटर से हुआ है। धार्मिक मान्यता के अनुसार देवताओं ने इसे अपने नाखूनों से खोदा था।
- पुष्कर झील: अजमेर जिले में स्थित, यह झील धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। मान्यता है कि इस झील का निर्माण भगवान ब्रह्मा के कमल पुष्पों से हुआ था।
- फतहसागर झील: उदयपुर की यह झील मेवाड़ के शासक राणा जयसिंह ने बनवाई थी। बाद में महाराणा फतेहसिंह ने इसका पुनर्निर्माण कराया और इसका नाम फतहसागर झील रखा गया।
- कोलायत झील: बीकानेर जिले में स्थित इस झील के पास कपिल मुनि का आश्रम है। यहाँ हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर मेला लगता है।
- सिलीसेढ़ झील: अलवर में स्थित यह झील नंदन कानन के रूप में भी जानी जाती है।
खारे पानी की झीलें
- सांभर झील: यह भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है और यहाँ मुख्यतः नमक का उत्पादन होता है। यहाँ सांभर साल्ट लिमिटेड कंपनी नमक उत्पादन का कार्य करती है।
- पंचभद्रा झील: बाड़मेर जिले में स्थित इस झील का निर्माण पंचा भील द्वारा करवाया गया। यहाँ का नमक उच्च गुणवत्ता का होता है।
- डीडवाना झील: नागौर जिले में स्थित इस झील में सोडियम सल्फेट पाया जाता है और इसका नमक खाद्य योग्य नहीं होता।
- लूणकरणसर झील: बीकानेर जिले में स्थित यह झील स्थानीय नमक की आवश्यकताओं को पूरा करती है।
अन्य खारे पानी की झीलें
- कावोद झील – जैसलमेर
- डेगाना झील – नागौर
- रेवासा झील – सीकर
- कोछोर झील – सीकर
- फलौदी झील – जोधपुर
ये झीलें राजस्थान की जलवायु, संस्कृति, पर्यटन, और ऐतिहासिक धरोहर को बढ़ाने में विशेष योगदान देती हैं।