💀 पगला कुआँ: उस रात जिसकी कीमत गांव ने चुकाई
(A Cursed Well That Still Whispers at Midnight)
🏞️ भूमिका:
मध्य भारत के एक छोटे से गांव राजपुरा में, एक बहुत ही पुराना कुआँ है — जिसे गांव वाले “पगला कुआँ” कहते हैं। ये कुआँ गांव के बाहर, पुराने पीपल के पेड़ के नीचे स्थित है।
कहा जाता है कि इस कुएं से पानी पीने वाला व्यक्ति धीरे-धीरे पागल हो जाता है… और फिर गायब हो जाता है।
📜 कहानी की शुरुआत: 1952
1952 में गांव में भयंकर सूखा पड़ा। कुएं, तालाब, सब सूख गए थे। तभी गांव के एक साहसी युवक रामशरण ने “पगला कुआँ” से पानी निकालने की हिम्मत की।
गांव के बुज़ुर्गों ने बहुत मना किया, लेकिन रामशरण ने कहा:
“अगर मैं पानी लेकर लौटा, तो ये अंधविश्वास खत्म होगा।”
वो गया… और लौटा भी — पर अगले दिन सुबह उसकी आँखें सफेद थीं, और वो बड़बड़ा रहा था — ‘उसने मुझे देखा है… अब तुम सब जाओगे…’
तीन दिन बाद, रामशरण की लाश उसी कुएं में उलटी पड़ी मिली। और उसके चेहरे पर… एक अजीब मुस्कान थी।
🧿 डर का फैलना:
रामशरण की मौत के बाद गांव में एक अजीब सन्नाटा फैल गया।
- रात को कुत्ते लगातार एक ही दिशा में भौंकते।
- खेतों में अकेले काम करने वाले किसान किसी की सांसें महसूस करते।
- और कुएं के पास से गुजरने वालों को ऐसा लगता, जैसे कोई “नज़रें गड़ाए बैठा है।”
🔍 कुएं का रहस्य:
70 के दशक में कुछ शहर के रिसर्चर गांव में आए। उन्होंने कुएं में कैमरा डाला — लेकिन वीडियो में सिर्फ धुंध, उलटी लटकती परछाइयां और कुछ अस्पष्ट मंत्र रिकॉर्ड हुए। कैमरा दोबारा कभी काम नहीं आया।
एक ऑडियो क्लिप में रिकॉर्ड हुआ —
“मेरे पानी से जिसने मुँह लगाया… उसकी आत्मा मेरी है…”
⚰️ 1991 की त्रासदी:
1991 में गांव के 6 युवकों ने रात के समय हिम्मत की और पगला कुआं देखने गए। उनमें से 5 तो घर लौट आए — लेकिन छठा, नंदू, लौटकर कभी नहीं आया।
अगले दिन कुएं से एक बच्ची की हँसी सुनाई दी।
वो बच्ची वहां थी ही नहीं…
🎥 हाल की घटना (2023):
2023 में एक टीम “Village Secrets India” नाम से डॉक्यूमेंट्री बना रही थी। उन्होंने पगला कुआं को ड्रोन कैमरे से रिकॉर्ड करने की कोशिश की।
ड्रोन 13 सेकंड तक चलता रहा… फिर अचानक ज़मीन पर गिर गया।
रिकॉर्डिंग में एक बर्फ सी ठंडी महिला की आवाज़ थी:
“तुम भी प्यासे हो क्या?”
टीम का मेंबर आयुष, जो कुएं के सबसे करीब गया था — अब पागलखाने में है। वो बस पानी मांगता रहता है… लेकिन जैसे ही उसे पानी दिया जाता है, वो ज़ोर से चिल्लाता है:
“ये उसका नहीं है… मुझे कुएं वाला चाहिए!”
🔒 अब की स्थिति:
गांव ने अब उस कुएं को लोहे की चेन और ताले से बांध दिया है।
उस पर लाल रंग में लिखा गया है:
“ये कुआं नहीं, आत्माओं की कब्र है। दूर रहो।”
रात 12 बजे कुएं से पानी गिरने की आवाज़ें आती हैं, जबकि उसमें कोई बाल्टी भी नहीं डाली गई होती।
🧠 Moral:
“कुछ जगहें सिर्फ भूगोल नहीं होतीं… वो इतिहास और आत्माओं का मिलाजुला दरवाज़ा होती हैं।”
“पगला कुआँ एक चेतावनी है… कि कभी-कभी, प्यास जान से भारी होती है।“
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